Hindi translation of English bestseller - `Indian Development:Selected Regional Perspectives' by the Nobel prize winning author Amartya Sen
नोबेल पुरस्कार सम्मानित भारतीय प्रो॰ अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र को सार्वजनिक योगक्षेम से जोड़कर गरीबी और अभाव से पीड़ीत इस दुनिया के लिए एक महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। उनके द्वारा स्थापित सिद्धान्तों के आधार पर अब न केवल संयुक्त राष्ट्र संघ की विकास तथा अर्थनीति के क्षेत्रों में कार्य कर रही संस्थाओं ने कार्य करना आरंभ कर दिया है वरन् अनेक देशों की सरकारें भी उनके अनुसार कार्य करके लाभ उठाने लगी है। प्रो॰ सेन को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये जाने के बाद से तो यह प्रवृत्ति और भी अधिक बढ़ गई है।भारतीय होने के कारण प्रो॰ सेन इस देश के विकास कार्यक्रमों तथा उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक हैं। इस दृष्टि से उनकी दो पुस्तकें महत्त्वपूर्ण हैः पहली 'भारतः विकास की दिशाएँ' तथा दूसरी प्रस्तुत पुस्तक 'भारतीय राज्यों का विकासः कुछ प्रादेशिक अध्ययन'। पहली पुस्तक बहुत विस्तार से सार्वजनिक साक्षरता, स्वास्थ्य सेवाओं के संगठन, स्त्री-शक्ति के विकास तथा श्रम में उसकी भागीदारी आदि उन अनेक मौलिक आवश्यकताओं पर प्रकाश डालती है, जिनके अभाव में एक सीमा से आगे उन्नति कर पाना संभव नहीं है। दूसरी प्रस्तुत पुस्तक भारत के एक दूसरे से भिन्न तीन प्रदेशों-उत्तर प्रदेश, पशचिम बंगाल और केरल-के विस्तृत अध्ययन इस दृष्टि से प्रस्तुत करती है कि उनकी रोशनी में अन्य प्रदेश भी अपनी विकास योजनाएँ सफलतापूर्वक बना सकें।ये अध्ययन बड़े रोचक और बोधक हैं। इनमें विकास की एक नई दृष्टि प्रस्तुत की गई है। ये सभी अध्ययन संयुक्त राष्ट्र संघ विशवविघालय के तत्त्वाधान में आयोजित किए गए थे। अंग्रेजी मूल में पुस्तक के एक वर्ष में छह संस्करण हो चुके हैं।